OSI Model क्या है ? यह क्यों establish किया गया Present में इसका क्या उपयोग है ?

OSI Model का पूरा Name Open System interconnection है ! यहाँ Open System Interconnection से मतलब है की जो भी Network hardware Company अपना कोई भी hardware develop करेगी  जो Company OSI model को Follow करते हुए अपने Network Hardware Develop करेगी उनके Devices आपस में Connect हो सकेंगे ! OSI model आने से पहले जो भी Hardware Company जब कोई Hardware बनाती तो वो उसमे अपने द्वारा ही बनाये गए Network Standard और Protocol को यूज़ करते थे जिससे Only उसी Company के द्वारा बनाये गए Hardware Connect हो सकते थे और जब कोई IT Company अलग-अलग Wanders से Hardware ख़रीद लेती तो उसको आपस में Computer को interconnect करने में परेशानी होती थी इसी समस्या के Solution के लिए एक ऐसे Network Standard की आवस्य्क्ता महसूस हुई की वह किसी भी प्रकार के Hardware से Connect हो सके ! OSI Model को ISO( International standardized Organization )ने 1984 में Publish किया गया  जबकि इसको 1977 में establish कर लिया गया था  ISO ने एक कमेटी बनाई और उसको यह Responsibility दी गई की एक Open Standard Develop किया जाये और इसी कमेटी के Reference से 1984 में OSI Mobel को Approve किया गया  और जब से OSI model बना है तब से लेकर आजतक हर Company इसको Follow करते हुए अपनेComputer Network Hardware बना रही है ! यह एक Reference model है !इसके Reference को ध्यान में रखकर ही कम्पनिया अपने Device Develop करती रहेगी हालाँकि आज कल जो हम Network device या Computer को जो यूज़ करते है उनकी Working इसके ऊपर नहीं होती है ! हम जो आज Networking Device यूज़ करते है उनकी Working में TCP /IP Model यूज़ होता है ! OSI model के Reference से Network की Understanding बहुध ही अछि तरह से होती है   इस Model का उद्देस्य Network की traveling को समझना है ! अर्थात Network में data को एक Node से दूसरे Node तक जाने में किस तरह की यात्रा करनी पड़ती है ! हम अन्य सरल सब्दो में कह सकते है की OSI Model एक Complex Network task को 7 Parts में divide कर देता है जिसको समझने में बहुध ही आसानी होती है OSI Model में 7 Layers होती है ! जिसमे हर Layer का अपने आप में यूनिक work होता है जिसको यहाँ हम विस्तार से समझेंगे यह 7 layer  receiver से Sender की तरफ और Sender से Receiver की तरफ दोनों तरफ होती है

osi model in hindi

Classification of OSI Model

OSI Model के reference में Network की एक Complex task को 7 parts में divide किया जिसमे Network को आसानी से समझाजा सकता है इसलिए इसको Teaching model के नाम से भी जाना जाता है! osi model में 1st layer Physical Layer है 2nd Data link Layer, 3rd Layer Network layer ,4th Layer Transport layer ,5th session Layer ,6th Presentation Layer , 7th Application Layer है  इन 7 layers को OSI Stack भी कहते है ! इस Model को 2 parts में Divide किया गया है

Upper and lower layer in hindi

Upper layer and Lower layer

Upper layer-Upper Layer में Application layer , Presentation layer और Session Layer को रखा गया है ! इन तीनो Layer पर Perform होने वाले Networking task Application Specific होते है

Lower Layer- lower layer में Network Specific Function वाली Task perform होती है-Routhng ,Addressing ,Controlling , जैसे Specific Function इसमें Perform होते है 

 

Work of each layer in OSI model

1 Physical layer 

OSI मॉडल में Physical Layer एक ऐसी Layer है जहा Data Network interface से Physically Move करता है !Physical layer is Define electrical and physical Specification of device इसको यदि हम थोड़ा सरल भाषा में समझने का प्रयास करे तो कह सकते है की Physical layers में वो सभी Task और Function work करते है जो एक Network Cable और Connector में होते है ! अब एक Cable और Connector में क्या-क्या Task और Functioning हो सकती है उसके बारे में समझते है

Transmission Media – Physical layer की Functionality में यह सभी task होती है की Transfer किये जाने वाले Data का Transmission Media क्या होगा उसमे किस तरह के Connector यूज़ किये जायेगे किस तरह की Cable यूज़ की जाएगी डाटा Wire less transfer होगा या Wire base NIC कैसे Operate करेगा यह सभी Task की Functioning Physical Layer के द्वारा ही की जाती है ! परन्तु जैसा की हम जानते है OSI Model एक Reference और Teaching model है ! real word की सभी Device इस पर काम नहीं करती है ! तो इसके कुछ Function को Data link layer के द्वारा भी Perform किया जाता है

Encoding-and Signaling – Physical layer Encoding और Signaling के लिए भी Responsible होती है ! इस बात का निर्धारण इसी layer पर किया जाता है की जो Data 0 1 या bits की फॉर्म में है उनको दूसरे Device पर किस फॉर्म में Send करना है और उनको Send करते समय Signal के लिए क्या Voltage होंगे और Signal का कोनसा Level O या 1 किस Voltage पर Represent करेगा

Topology –  Topology का मतलब Computer का Network पर Arrangement या Design of Computer नेटवर्क होता है Network में Design केसा है ! Computer आपसमे किस Topology से Physically Connect है इस बात की Responsibility भी Physical Layers पर ही होती है  ! जैसा की मेने आपको बताया है की OSI एक Reference Model है ! तो Topology से Related कुछ काम Data link Layer पर भी होते है ! और कुछ Experts और Documentation में तो Topology की पूरी Responsibility Data link layer की ही मानी गई है 

Divices – वास्तव में Physical layer technology 0 और 1 में डील करती है ! Physical layer की Device Router ,Switch ,Repeater Hub , Media ,Converter इन सभी Device को Data क्या है ! text ,Audio ,Video ,image इनको पता नहीं होता है ! यह Device only bit के फॉर्म में Input लेती है और उसको bit के फॉर्म में ही Output कर देती है

Data link layer

OSI Model की Second Layer Data link layer है यह हमारे Network में बहुध Important task और Functioning करती है !जैसे -की हमारे जो Devices Network से Connect है वो Media को कैसे access करेंगे और कब Data Transfer करेंगे इसके लिए यह Different टेक्निक यूज़ करती है जिसको टोकन पासिंग मेकेनिज्म भी कहा जाता है इसके साथ ही यह डाटा को ट्रांसफर करने में भी बहुध Help करती है क्यों की इसी Layer में Network device के Physical address होते है और इसी कारण से यह Node to Node Data को transfer करने में Help करती है ! इसके साथ ही Data link layer Network topology को भी Define करती है ! यह Network में Error detection करने में Help करती है साथ ही Physical addressing और Flow control इसका मुख्य Feature है ! Flow Control को हम एक उदहारण के समझ ते है हमारे पास 2 computer है और हम एक Computer से दुसरे Computer पर data send करते है 100Bbps की Speed से और जो Receiver Computer है उसकी Data Receive करने की Speed है 75Mbps तो इन दोनों Computer के बीच Connection बनाये रखने के लिए Data flow Control इस Situation में यह निर्धारित करती है की Actual में दोनों Computer के बीच किस Speed में data का Flow होना चाइये

इसकी कुछ यूनिक Functioning होती है जो निम्न प्रकार है

Frame–   जब Data travel करते हुए Upper Layer से second Layer पर Frame की फॉर्म आता है या Physical Layer से 0 1 की फॉर्म में Second layer पर आता है तो वह यह Frame में Convert हो जाता है !

Error Detection- जैसा की हम जानते है जब डाटा Upper layer या Physical layer से Data link layer पर आता है तो वह Frame में Convert हो जाता है और चाये वो 0 1 की फॉर्म में हो या Packet की Form में हर एक Frame के 3 Parts होते है जिसको Header ,Payload Field और Trailer इसको यह आप निचे दिए गए Chart में बहुद आसानी से समझ सकते है frame in hindi
इस 0 1 के Combination से ही यह frame बनती है यह Help करती है Error Detection में हर Layer जब Data को एक Layer से दुसरे Layer में Pass करते वक्त data में अपना एक हैडर लगाती है ! पर Data link layer एक ऐसी Layer है जो Header के साथ साथ Trailer भी लगाती है ! इस Trailer में एक Value होती है जिसको( FCS )Frame Check Sequence कहा जाता है ! यह FCS value Frame की एक Calculate Value होती है ! जब Receiver को Data Receive हो रहा होता है तो वह इस Trailer को Check करता है और इसमें Store value को Frame की Value से Compare करता है और Value का सही Combination hone पर Data सही मान लिया जाता है और Value का सही नहीं मिलने पर वो Frame Corrupt मान लिया जाता है ! इसी Feature को Error Detection कहा जाता है !

Topology – Data link layers Network topology को भी Define करती है की नेटवर्क की किस तरह की Physical और Logical Topology का यूज़ होता है यह logical टोपोलॉजी से आशय की topology में data किस तरह से travel करता है उसको Logical topology कहा जाता है और Physical topology वह topology है जिसमे यह देखा जाता है की Computer आपस में किस तरह से Connect है !

Physical addressing – Physical Addressing का Example है ! हमारे Network Device का Mac address से है ! यह Mac address 48 Bit का होता है ! यह कभी बी Change नहीं होता है ! इस लिए यह हमारे Network device की Identity भी होती है ! Data की Delivery इस Physical Address पर ही होती है  

 

Data link layer Physical layers  के अंदर जो Protocol यूज़ होते है वो है PPP (Point to Point Protocol और FDDI (Fiber Distributed Data Interface ) जैसा की हम जानते है की Data link layer Network में बहुध ही Complex और Important work करती है इसके काम को समझ ने के लिए इसको 2 छोटे भागो में वर्गीकृत किया गया है!

Classification of Data link Layer

MAC and LAC

data link Layer in hindi

LAC (Logical Link Control )-  Logical Link Control layer ,Network Layer को कुछ Services Provide करती है जैसे यह Data link layer की Details को यह Network लेयर से Hide करती है जिससे Local Aria में work करने वाले दूसरी Technology Network layer के साथ अच्छे से work कर सके जैसे की Ethernet Open ring . Logical link Control layer local device और Network के बीच Connection को Control करती है ! और आज के लग-भग सभी Technology इस Protocol को यूज़ करते है

MAC (Medium Access Control layer)-  Mac Layer यह Define करती है की Device Network medium तक कैसे Communicate करेंगे क्यों की Network में एक Single cable से बहुद सारे डिवाइस Connect होते है या बहुद साडी Cable किसी Device से connect होती है जैसे एक Switch से बहुद सारी Cable connect होती है और वह Switch एकCentralise Device Router से Connect रहता है इस केस में सबसे बड़ी समस्या यह थी की कौन कब और किसको Data transfer करेगा सभी Device आपस में कैसे Communicate करेगी तो यह सारी Responsibility mac layer की होती है की कौन कब और कैसे Communicate करेगा इसके लिए हम पहले से ही जान चुके है की इसके Mac address होता है Mac Device के Network Card का एक यूनिक Physical Address  है ! जो 48 bit का होता है ! यह Address पुरे World में  हर Network Device का यूनिकAddress  होता है

Network Layer –

Network layer Data link layer की 3rd Layer है ! यह Layer यह यह Describe करती है की inter networking कैसे work करेगी जहा Data हमने देखा की Data link layer एक Local aria में work करती है ! जहा Device एक दूसरे से Connect हो Network layer इस बात के लिए Responsible होती है की एक System से दूसरे System तक Data कैसे जायगा चाये वो system या device कहि पर भी Remote location पर हो Network  layer के कुछ Function और Protocol  है जैसे Packer ,Logical Address ,Inter Networking ,Routing ,Error Handling and Diagnostic( ,IGMP (Inter group messing Protocol )ICMP (Internet control messing protocol) ,EGP (Exterior Gateway Protocol)  )

Packet- Network Layer पर Data को Packet कहा जाता है जैसे की Data link layer पर Data को Frame कहा जाता है 

Logical addressing वो सभी Devices जो Network या internet में Communicate करती है उनको Logical address की आवश्य्कता होती है Logical address को IP Address भी कहा जाता है ! यह IP address IPV4 या IPV6 कुछ भी हो सकता है ! और IPV6 128 bit का Digit होता है IPV4 32 bit का एक Digit होता है ! IP address बिना किसी acknowledgement के Sender और Receiver के बीच Communicate करता है  यह Logical address/IP Address  किसी भी Particular type के Hard ware पर defended नहीं होता है ! और पुरे Internet में यह यूनिक होता है ! इसके बारे में बहुद ही विस्तार से जानने के लिए की IP Address क्या होते है और कितने तरह के होते है इसके ऊपर हिन्दी.आई.टी सलूशन द्वारा विस्तार में एक article है ! यहाँ इस Link पर Click करके आप देख सकते है

Inter Networking -जब दो या दो से अधिक Network के बीच Data का का Communication होता है तो इसको Internetworking कहा जाता है

Error Handling and Diagnostic   -इसमें वो सभी Protocol का यूज़ किया जाता है जो Network में Error Search करने का काम करते है इसमें कुछ Protocol का यूज़ किया जाता है जो निम्न प्रकार है 

  1. IGMP- Internet Group Management Protocol – इस Protocol का यूज़ multicast के लिए किया जाता है ! अर्थात इसमें एक से कहि Network को आपस में जोड़ा जासकता है ! इसका उदाहरण online Gaming , video streaming इसका सबसे अच्छा उदाहरण है
  2. ICMP = Internet Control message Protocol इस Protocol का यूज़ Network में कहि भी Error ढूंढ़ने के लिए किया जाता है ! उदाहरण के लिए हम समझते है की एक Router है Router नंबर xyz कोई भी 😀😀😀 उस पर हम कोई Data send कर रहे है ! और वो Respond नहीं कर रहा है तो इस Protocol के माध्य्म से हमे error मिल जाये गा

EGP (Exterior Gateway Protocol) = यह Protocol अभी यूज़ नहीं किया जाता है ! इसका यूज़ Nearby Getaway के साथ Data Exchange करने को किया जाता है ! इस तरह की Protocol का यूज़ Tree Topology मि किया जाता था

Routing-  Routing से आशय एक Network से दूसरे Network में Data के Traveling के Path या Best Path को Routing कहते है ! routing के कुछ Types से जैसे EIGRP ,RIP ,OSPF आदि Network layer में Multiple Resource से Data को लिया जाता है और फिर उनके Destination path पर Data को Send किया जाता है इसमें Routing की अहम भूमिका होती है !

Transport Layer

Transport layer OSI Model की 4th और Middle layer है ! यह Layer Upper layer और Lower Layer है के बीच Middle Layer का role Perform करती है क्यों की यह Layer कुछ Function Upper layer के Perform करती है और कुछ Lower layer के यह Layer application ,Presentation और Session layer के Function और Physical ,data Link ,और network layer के data Deliver के Function के बीच transaction का Work करती है जैसा की हम जानते है आज के Computer operating System multitasking होते है ! वो कही काम एक साथ कर सकते है ऐसे में सभी Software application एक साथ Data Send और Receive करने की कोशिस करती है ! इस Process में Transport layer कुछ ऐसी Functioning provide करती है की यह Lower layer को यूज़ करते हुए data Send और Receive कर सके Transport layer में ऐसी Functioning होती है जिससे identify कर लेती है की कोनसा डाटा किस Application से आर हा है और उस Data को Combine करके Lower layer को Send कर देती है और इसी Reverse Process में यह Layer Data को  Lower layer से Receive  कर उसको अलग अलग Application के लिए split करती है इस Layer को end तो end transport के लिए responsible माना जाता है  !  अलग अलग Process के बीच Communication और Connective बनी रहे इसके लिए इसके लिए Transport layer कुछ बहुद ही Important Functioning करती है जो इस प्रकार है

Segmentation – Transport layer ऐसी Functioning Provide करती है जिसमे Application का बड़ा Data को छोटे-छोटे Block में Divide किया जाता है इसी Process को Segmentation कहा जाता है

Multiplexing and De-multiplexing –  transport layer multiplexing और,demultiplexing का काम करती है अर्थात multiplexing से आशय May to one और demultiplexing से आशय one to many जैसा की हमने पढ़ा Transport layer में ऐसी Functioning होती है जिससे identify कर लेती है की कोनसा डाटा किस Application से आर हा है और उस Data को Combine करके Lower layer को Send कर देती है इस Process में यह एक Multiplexing का उदारण है क्यों की यहाँ इस Process में बहुद सारी Application के Data को Combine कर रही है और इसी का Reverse Process है एक साथ बहुद सारे Device को service देना जैसा की lower layer से receive data को Split कर अलग-अलग application के लिए send करना है

(Note -Multiplexing demultiplexing एक बहुद ही विस्तृत topic है आने वाले समय में हिंदी आईटी सलूशन द्वारा इसके ऊपर एक Article publish किया जायेगा )

Process level Addressing – इस Process में हर application को Network या अन्य Resource से Communicate करने के लिए एक Port Number दिया जाता है और जब वह data send या Receive करती है तो वो एक Particular port को यूज़ करते हुए ही work करती है जैसे web सर्विस के लिए Port number 80 यूज़ होता है ssh के लिए 22 ftp के लिए 21 इस पोर्ट number से transport layer data को identify करके Data को Send या receive कर लेती है

Connection Services- Transport layer application और Service को Connection provide करती है ! यह Connection दो तरह के होते है Connection Orientate और Connection less Connection Orientate वो Connection होता है जिसमे Data send होने के बाद sender को acknowledgement मिलती है और Connection less में acknowledgement नहीं मिलती है इस प्रकार के दोनों Connection के अपनी feature है

Error Control – Transport layer में कहि ऐसी Algorithm होती है जिसकी Help से Connection Reliable और Efficient रहता है ! Error Control में Data को किस Rate पर send करना है ! Data transmission के समय पर data loss को Deduct करना जैसे Function और Feature इसमें Include होते है !

Session layer 

Session layer OSI model की 5th layer है ! यह layer upper Layer की Categories में आती है! यह session layers तक Data पहुँचते पहुँचते डाटा Delivery से Related issue जिसके बारे में हमने ऊपर Lower Layer के बारे में जाना की Port ,mac ,logical ,addressing जैसे सभी काम ख़त्म हो जाते है ! यहाँ यह Upper layer only Software Related Issue को ही Handle और Solve करती है  ! Session layers के कुछ Feature होते है ! जैसे Connection को establish करना Connection को Maintain रखना Communication को Synchronizing करना Dialog Controlling ,Connection terminating आदि Session layer End user application और Network के बीच Session को बनाने में Manage करनेमें और Close करने में बहुध ही महत्व पूर्ण भूमिका निभाती है  ! यह Session Application या Clint और Server के बीच Request और Response से बनता है ! इसको हम थोड़े Practical समझने का प्र्यास करे तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमारा Web Browser है जो एक समय में कहि सारे Session बनाये और Handel करता रहता है !

वैसे तो इसके सभी काम Important ही होते है फिर भी कुछ Service है जिनको हम थोड़ा Details में जानते है

Authentication-  Authentication से आशय identity से है इसमें identity को Proof किया जाता है

Permission – यहाँ Permission से आशय है की Data को किस Level तक Access करने की permission है ! Session Layer यह Permission Check करती है की access करने वाले user को data किस हद तक Access करने की permission है जैसे की वह only data को Read कर सकता है या Read write या Execution की Permission है

Session Restoration – यहाँ Session restoration से आशय Session के Restore से है ! अगर Communication करते समय Session expire या टूट जाता है तो यह उसको वापस Restore कर देती है

Presentation Layer 

Presentation layer OSI model की 6th layer है ! जैसा की name से ही स्पष्ट होता है यह data के Presentation से related task पर काम करती है ! जब एक System दूसरे System को Data send करता है तो हो सकता है की receiver system Sender की तरह data को show नहीं कर पाए क्यों की यह आवश्य्क नहीं है की sender और receiver दोनों का Operating system एक ही हो Sender ने Windows मशीन से Data को send किया है पर हो सकता है की Receiver का Operating system Linux mac unix कुछ भी होसकता है ऐसी Situation में Presentation Layer कुछ ऐसे Specify task और Function perform करती है की Data same to same present होता है

Presentation layer कुछ Specify Function Perform करती है जो इस प्रकार है

Transnational -Network में अलग-अलग System के अलग-अलग Platform होते है ! और उनका File System File Structure और System के work करने का तरीका भी अलग अलग ही होता है ! presentation Layer Platform को Identify कर data को उसी Format में Show करती है जैसा की Windows दूसरे System पर होता है उदाहरण के लिए हम google या Facebook को किसी भी Operating में Open करे वो हमे सभी में एक जैसी ही show होगी

Encryption -Presentation layer Encryption का work करती है यानि Data को Coding की Form में या कोई Garbage type की Value में Encrypt कर देती है जिससे डाटा travel करते वक्त अगर Hacker द्वारा Hack भी किया जाये तो वो show नहीं हो सकता है यहाँ एक ध्यान देने योग्य बात है की OSI model में Only presentation layer ही Data को Encrypt नहीं करती है यह काम Network layer के द्वारा भी किया जाता है परन्तु उससे पहले जो SSL protocol होती है उसका work यहाँ Presentation layer पर कर लिया जाता है
(Note – SSL Secure socket Layer एक ऐसी Encryption है जो website पर Security के लिए यूज़ ली जाती है ! अगर कोई Website https:// तो मतलब वह एक Secure website आप के द्वारा के और उस Server के बिच से कोई भी Data और Session चोरी नहीं कर सकता है क्यों की आप के द्वारा उस Website पर की गई हर request और Response SSL से Encryption होगा ) 

Compression – Compression से आशय data को उसके मूल रूप से छोटा करने से है यह Compression का काम ऐसी Presentation layer पर किया जाता है

Application Layer

Application Layer 7th number की layer है ! जैसा की हमने पड़ा की यह एक upper layer है और Upper layer के सभी task एक दूसरी लेयर से Related होते है ! यह Software Specify वर्क करती है Application layer end यूजर के सबसे near वाली layer है क्यों की User इसी के जरिये Network से या System से Connect होता है ! application layer में Internet browser जैसे Software या Program होते है जो user को Interface provide करते है

इसके कुछ Functioning है जो इस प्रकार से है

Identifying Communication machine -यहाँ Application अपनेCommunication partner को Identify करती है यह application sour करती है की नेटवर्क में स्थित Partner valid है या नहीं

authentication यह Layer authentication का वर्क भी करती है और यह सौर करती है की किसी भी End user application को use करने वला Person valid है या नहीं

दोस्तों Application Layer को और भी सरल भाषा में समझना चाये तो इसका सबसबे अच्छा Example Google Chrome जैसे Internet browser है ! application layer वह सभी काम करती है जो एक Internet browser द्वारा किये जाते है तो में अपने मन से इस Article में छोटे छोटे Browser के काम को Enplane करने का कोई लाभ नहीं है क्यों की में मानता हु की आप इससे अछि तरह वाकिब होंगे की Browser क्या क्या work करता है

दोस्तों अगर आपको हिन्दी आईटी सलूशन द्वारा दीगई जानकारी अछि और Knowledge वाली लगी है तो हिन्दी आईटी सलूशन को Follow करे जिससे निरंतर ऐस आर्टिकल आप को मिल सके जो Internet में हिन्दी में Detail में Deep में Available नहीं है ! में आशा करता हु की अगर आप Linux या Networking के Student है तो यह Blog आपके लिए जरूर बेहद Knowledge वाला है
धन्यवाद
विष्णु शर्मा

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